व्यवसायिक शिक्षा के महारथी

||व्यवसायिक शिक्षा के महारथी||


उत्तराखंड के युवा विनोद बच्छेती ने जिस 'दिल्ली पैरामेडिकल एवं प्रबंधन संस्थान' की (डीपीएमआई) की नींव 1996 में न्यू अशोक नगर, दिल्ली में मात्र दो कमरों में रखी थी, आज उसके काठमांडू सहित देशभर में 22 संस्थान चल रहे हैं। जिस गांव कंाडा (पौड़ी गढ़वाल) से वे अनेक अभावों के कारण दिल्ली पलायन कर गये थे वहां भी संस्थान की शाखा खोल दी है। जहां दो सौ बच्चे व्यवसायिक प्रशिक्षण बेहद रियायती शुल्क पर ले रहे हैं।


कभी दो जर्जर कमरों में चल रहे डीपीएमआई संस्थान को देखकर एक भद्र पुरूष ने अपनी बेटी का हाथ विनोद के हाथ में देने से इन्कार कर दिया था। आज वही विनोद दिल्ली में उत्तराखंड के जाने माने व्यवसायियों में शुमार हैं और अब वही भद्र पुरूष विनोद के सबसे बड़े प्रशंसकों में शामिल हैं। विनोद अपनी जन्मभूमि के सरोकारों से काफी गहराई से जुड़े हैं और वे जल्दी ही राज्य के पहाड़ी क्षेत्र में अपना तकनीकी विश्वविद्यालय खोलने की योजना बना रहे हैं। ताकि उपेक्षित पहाड़ के युवाओं के हुनर का डंका उत्तराखंड से लेकर देशभर में बज सके।


पौड़ी गढ़वाल के कांडा गांव (सितोनस्यूं पट्टी) में जन्मे विनोद बच्छेती आठ-नौ साल की उम्र में दिल्ली आ गये थे। यहां उनके पिता सरकारी नौकरी में थे।


अपने चार भाइयों में विनोद तीसरे नंबर के हैं। विनोद ने 12 वीं पास करने के बाद होम्योपैथी डाॅक्टर बनने का सपना देखा और हरियाणा सेे बीएचएमएस की डिग्री ले ली। उनके पिता राम सेवक बच्छेती चाहते थे कि उनका बेटा कोई छोटी-मोटी सरकारी नौकरी कर ले ताकि उनके रिटायर होने के बाद उनको मिला सरकारी मकान उनके बेटे को मिल जाए। जिससे दिल्ली में छत की समस्या से परिवार को निजात मिल सके। पर विनोद की आंखों में कुछ और ही सपना तैर रहा था।


घरवालों के विरोध के बावजूद उसने चार-पांच हजार की पूंजी जुगाड़कर 1996 में दो कमरे किराये में लेकर इसमें लैब टेक्निशियन का 6 माह का सर्टिफिकेट कोर्स शुरू कर दिया। उन्होंने दिल्ली पैरामेडिकल एवं प्रंबधन संस्थान (डीपीएमआई) के नाम से सोसायटी रजिस्ट्रेशन के तहत पंंिजकरण करवा लिया था।


विनोद बताते हैं कि संस्थान खोलने के बाद चार-पांच साल तक उनका बेहद मुश्किलों भरा दौर चला कभी-कभी तो यह हालत होती थी कि उन्हें जरूरी खर्चों के लिए भी समस्या खड़ी हो जाती थी जो शुल्क के रूप में पैसा आता था उसे संस्थान की ही सामग्री खरीदने में लगा देता था और अधिकतर समय जेब खाली ही रहती थी ।


एक बार एक उत्तराखंडी ब्राह्मण अपनी बेटी का रिश्ता लेकर उनके घर आये। उन्हें विनोद पंसद भी आया पर जब वे उनका करोबार देखने उनके दो कमरों के संस्थान में आये तो उन्होंने नाक भौं सिकोड़ते हुए रिश्ते से ना कर दिया। वे चाहते थे उनका दामाद कोई सरकारी नौकरी वाला हो।
विनोद जानते थे कि पैरा मेडिकल स्टाॅफ की देशभर में काफी कमी है इसलिए उनका संस्थान चल निकलेगा। संस्थान चल निकला और उनका प्यार मंडी (हिमाचल) की रहने वाली एक सुशिक्षित कन्या से हो गया और जल्दी ही दोनों ने शादी भी कर ली। उत्तराखंडी ब्राहा्रण परिवार के लड़के द्वारा गैर जातीय (राजपूत कन्या) से शादी से परिवार वाले बेहद नाखुश हुए और उन्होंने विनोद से रिश्ता तोड़ सा दिया। यह रिश्ता तब सामान्य हुआ जब विनोद के घर में शिशु ने जन्म लिया।


खैर, विनोद ने अपनी सुयोग्य पत्नी के साथ हौसलों की नई उड़ान भरी और आज उनके देशभर में 22 संस्थान चल रहे हैं।


वे अपने उपेक्षित गांव को भी नहीं भूले और वर्ष 2014 में उन्होंने अपने गांव कांडा (पौड़ी गढ़वाल) में संस्थान की एक शाखा खोल दी। जहां करीब 200 छात्र रियायती शुल्क पर पैरामेडिकल एवं मैनेजमेंट का स्तरीय प्रशिक्षण ले रहे हैं। केदारनाथ आपदा में निराश्रित बच्चों को उनकी संस्था निशुल्क प्रशिक्षण दे रही है।


उनकी योजना है कि उत्तराखंड के कुछ बेहद गरीब बच्चों के लिए वे अपने दिल्ली स्थित संस्थान में प्रशिक्षण व हाॅस्टल की निःशुल्क सीटों की व्यवस्था करेंगे।


आज उनके काठमांडू (नेपाल) सहित देशभर में 22 संस्थान चल रहे हैं। उनके दिल्ली स्थित संस्थान में 2000 से अधिक छात्र विभिन्न टेªडों में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। इस संस्थान में चार सौ से ज्यादा कर्मचारी कार्यरत हैं। जिनमें 80 प्रतिशत कर्मचारी उत्तराख्ंाड के हैं, इनकी ईमानदारी व कर्तव्यनिष्ठा को वे अपने संस्थान की तरक्की में सबसे बड़ी ताकत मानते हैं। 


उच्च शिक्षा के लिये पलायन का दंश झेल रहे उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र मंे उनकी एक तकनीकी विश्वविद्यालय खोलने की योजना है ताकि पहाड़ में ही वे हुनरमंद हाथ तैयार कर उन्हें रोजगार के काबिल बना सकें।


आज उनका संस्थान इन हाउस प्लेसमेंट के मामले में अग्रणी संस्थानों में एक है। उनके संस्थान से निकले हजारों तकनीशियन वेदांता, फोर्टिज, लाल पैथोलाॅजी सहित देश-विदेश के नामी अस्पतालों व पांच सितारा होटलों में अच्छा रोजगार पा रहे हैं। संस्थान के विभिन्न समारोहों में देश के पूर्व राष्ट्रपति डाॅ अब्दुल कलाम व सुप्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डाॅ.त्रेहन सहित दर्जनों हस्तियां भाग ले चुकी हैं।


समाज सेवा का सफर 
विनोद व्यवसाय के साथ-साथ उत्तराखंड के सामाजिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक सरोकारों में बढ़चढ़कर हिस्सा लेते हैं। वे पहाड़ के प्रसिद्ध गायकों सर्वश्री नरेन्द्र सिंह नेगी व हीरा सिंह राणा की गीत यात्रा पर दो पुस्तकों का प्रकाशन कर चुके हैं। वे उत्तराखंड के दर्जनों साहित्यकारों व कवियों का सम्मान भी कर चुके हैं। उत्तराखंड की बेटी किरण नेगी की जब दिल्ली में कुछ राक्षसों द्वारा व्यभिचार के बाद हत्या कर दी थी तब उन्होंने उत्तराखंडी समाज को किरण के परिवार के साथ एक जुट किया और जुल्मियों के खिलाफ चली लंबी लड़ाई के बाद उन्हें अदालत से फांसी के फंदे तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई ।


वे 'हिमालयन न्यूज' नामक एक आॅन लाइन न्यूज चैनल भी चला रहे हैं, जो पूरी तरह उत्तराखंडी सरोकारों के लिए समर्पित है।


उत्तराखंड एकता मंच के माध्यम से वे दिल्ली के उत्तराखंडी संगठनों को एक जुट करने में जुटे हैं ताकि उत्तराखंडी देश की राजधानी दिल्ली में भी अपनी मजबूत पहचान बना सकंे।
साभार -हमारे नायक