उन्नीस साल बीते, 4000 गाँव खाली हो गये


||उन्नीस साल बीते, 4000 गाँव खाली हो गये||


कौन अपनी जमीन घर ये दुमंजिले तिमंजिले घरों को छोड़ दबड़े से कमरों में रहना चाहता है? कौन है जिसे अपने ही रहने की जगह चैन नहीं मिलता? ये साफ आसमान,मीठी सी हवा,सुरमई सुबह और शाम,चिडियों भौंरों का गुंजार किसे नापसंद होगा?


ये गंधाते नाले,भीड़ उबलती सड़कें,शोर शराबा और सबकुछ नकली नकली,कोई दर्द नहीं कोई रिश्ता नहीं,सिर्फ पैसे से खरीदे जाने लायक सामान और वस्तु बन चुके लोग किसे अपने आसपास अच्छे लगते होंगे? धूल,धुंवा,सिर्फ गंदगी। जिसमें पनपती बीमारी और कोई। पूछने वाला नहीं,सबको सिर्फ जल्दी मची रहती है। क्या ये शहर किसी पर्वतीय गिरि उपत्यकाओं में रहने वाले निश्छल पहाड़ी व्यक्ति के रहने की जगह हो सकती है?


हमने उत्तर प्रदेश के समय राज्य की तीव्र मांग की थी क्योंकि हमको बुनियादी विकास की सख्त जरूरत थी। हमारे बच्चों को शिक्षा,हमको स्वास्थ्य और रोजगार चाहिए था। हमारे लड़कों की जिन्दगी इन महानगरों में गुम हो रही थी और उनकी प्रतीक्षा में एक युवा पीढ़ी असमय बूढ़ी हो जाती थी।उस वेदना से राज्य को अरे भाई आज के नहीं शुद्ध पर्वतीय राज्य की अवधारणा थी हमारी और हमने ये भी सोचा था कि राज्य मिलने के बाद जो सरकार बनेगी वह हमको इतने अधिकार देगी ही कि हम इसे मन भर या खुद अपने तरीके से सजायेंगे। संवारेंगे।


उन्नीस साल बीते। 4000 गाँव खाली हो गये।20 लाख से ज्यादा लोग परिवार समेत गये। खेती बांजी पड़ी और लोग इतने कम हो गये कि आंगन से बाघ हमारे बच्चों को उठाने लग गया। सरकारें उत्तर प्रदेश से भी अधिक जनता से दूर हो गयी। रोटी रोजगार स्वास्थ्य शिक्षा सब मिलना दूभर हो गया। अब बहुत से घरों में अस्सी साल के कोई बूढ़े हैं जिनको खुद के मरने का इंतजार है। वे इन मायावी महानगरों में नहीं रह सकते। बच्चे घर आ नहीं सकते उनके अपने रोजगार हैं। कुछ गांवों में मुर्दे को श्मशान तक लाने वाले नहीं हैं। ये राज्य बनाया हमारे नेताओं ने। हर नदी पहाड़ जंगल खोद डाला। लेकिन जिस राज्य की मांग की थी वो मूल ही मिटा दिया। पर्वतीय भू भाग अपनी बदहाली को झेलने को अभिशप्त है।


हम कुछ गाँव जिन्होंने सीमित असिंचित बिखरी जोत से अपना रोजगार निकलना शुरू किया कि हम पर बनिये,भू माफिया और अत्याचारी शासन अपने गुर आजमाने जुट गया। हमारी बदहाल सड़कें,बिन पानी की सरकारी पाईप लाईन,बिना मास्टर के स्कूल,बिना दवा के अस्पताल और ठगने वाले विभाग यही मिला हमको