बर्फ के बाद, मिलेगी मंजिल

बाल कवि
धीरेन्द्र चैहान
 



1.बर्फ के बाद
बर्फ का ये मौसम देखो,
कितना है शानदार।
बच्चे खेलकर बोल रहे हैं,
बडा है ये मजेदार।
बर्फ का गोला बना-बनाकर,
इक दूजे को मार रहे हैं।
खूब करके मौज-मस्ती,
बर्फ का आनंद ले रहे हैं।
खेल रहे हैं, कूद रहे हैं,
पुतला बर्फ का बना रहे हैं।
फिर बारी-बारी से उस पर,
निशाना अपना साध रहें हैं।


2.मिलेगी मंजिल
ये दुनिया कुछ भी कहे, कहने दो उन्हें,
हमें तो पथ पर जाना है।
आज नहीं तो कल हमको,
मंजिल को अपनी पाना है।
हम अच्छे काम करें या बुरा,
लोग निन्दा ही करेंगे।
हमको  चलते रहना है,
सुपथ पर आगे बढ़ना है।
मंजिल को पाने की खातिर,
ठोकरें भी खानी होंगी।
लगातार कर्म करने रहने से,
मंजिल भी पास आयेगी।