उत्तराखंड के सुदूर लोक का खजाना


||उत्तराखंड के सुदूर लोक का खजाना||


महावीर रवाल्टा उत्तरकाशी के रवांई क्षेत्र के एक संवेदनशील हिंदी कथाकार हैं। 10 मई, 1966 को उत्तरकाशी के सरनौल गांव में जन्मे महावीर ने कविता, नाटक, उपन्यास विधाओं के अलावा लोक साहित्य की करीब-करीब सभी विधाओं में अनेक किताबें लिखी हैं।


2012 में प्रकाशित उनकी किताब 'दैत्य और पांच बहिनें' उनके अपने अंचल के सुख-दुखों की बेहद मार्मिक बानगी है। लोक कथाएं सभी जगहों की एक जैसी हैं, घटनाक्रम और विन्यास में भी कोई खास अंतर नहीं होता; मगर हर क्षेत्र की इन कथाओं को गहराई से देखने पर उस जगह का अपना विशिष्ट चरित्र सामने आ जाता है। सुदूर अतीत की इन अभिव्यक्तियों में वर्तमान और भविष्य की अपेक्षाओं को चीन्हा जा सकता है।


संग्रह में बच्चों के लिए लिखी छोटी-छोटी सोलह कहानियां हैं जो रोचक, कौतूहलवर्धक और गहरे सामाजिक मूल्यों से ओतप्रोत तथा उपदेशपरक भी हैं साथ ही समाज को जोड़ने वाली भी। हिंदी के आम लेखकों से अलग महावीर एक फार्मेसिस्ट हैं, इसलिए उनके लेखन में साहित्यिक बोझिलता नहीं है। वो जनता के बीच जाकर उन्हीं की भाषा में रचना-संवाद करते हैं।


साहित्यिक घेराबंदी से दूर रहने वाले इस प्रतिभाशाली लेखक के गांव का नाम 'महरगांव' है, जिसका संबंध मेरे पहले उपन्यास 'महर ठाकुरों का गांव' के साथ न होने के बावजूद मुझे लगता है, दोनों मे जबरदस्त समानता है।


महावीर का नंबर है: 9458350974 मेल: ranwaltamahaeer@gmail.com