लोक की आवाज बनी, नन्द लाल का गीत


||लोक की आवाज बनी, नन्द लाल का गीत||


जमिना कु पाणी, अगलाड़ की माछी पहला जौनसार गीत है जो सभी का प्रिय बन चुका है। उत्तराखण्ड की कोई भी लोक गायिका इसे प्रस्तुत किये बिना नहीं रह सकती। दर्शको को भी इस गीत को सुनने का इन्तजार रहता है कि अमुक लोक गायिका इस गीत को कब प्रस्तुत करेगी।




यह गीत जौनसार-बावर के प्रख्यात संस्कृतिकर्मी नन्दलाल भारती की बहुत ही लोकप्रिय रचनाओं में से एक है। जिसे उन्होने 2008 में लिखा है। उत्तराखण्ड की स्वर कोकिला कहे जाने वाली मीना राणा ने पहली बार इस गीत को आवाज दी और संगीत संयोजन उत्तराखण्डी सिनेमा के सिद्धहस्त हस्ताक्षर संजय कुमोला का है। उसके बाद तो इस गीत ने ऐसी रफ्तार पकड़ी की यह गीत यमुना-टौंस घाटी से लेकर तराई-बाबर, नीति-माणा और ठेट सोरघाटी तक अपनी उपस्थिति अनिवार्य कर दी। अब तो दर्शक अथवा श्रोता भी इस गीत की प्रस्तुति के मुरीद हो चुके है।


खास बात यह है कि यह अकेला ऐसा रचित गीत है जिसने लोक गीत का स्थान स्वस्र्फूत पाया है। लोक में इस गीत की प्रस्तुति आवश्यक हो गई है। इसलिए राज्य की हर गायिका इस गीत को गाती है। ज्ञात हो कि  यह गीत एक करोड़ से भी अधिक बार सुना, गाया, देखा गया है। सोशल मीडिया के तमाम फ्लेटफार्मो पर आप इस गीत को सुन सकते है। या राज्य में आयोजित व परम्परागत मेलो एवं उत्सवों के मंच पर इस गीत की प्रस्तुति अनिवार्य रूप से देखी जा सकती है।


मीना राणा के अलावा उत्तराखण्ड की प्रसिद्ध लोक गायिका संगीता ढौंडियाल, पूनत सती, रेशमा शाह, बीना बोरा, सीमा चैहान, हेमा नेगी करासी, बेबी प्रियंका, सितारा वर्मा, करिश्मा शाह, शकुन्तला रमोला आदि लगभग सभी लोक गायिकाऐं इस गीत की मुरीद हो चुकी है। वे इस गीत को अपनी-अपनी प्रस्तुतियों का महत्वपूर्ण हिस्सा मानती है।