||रंगोत्सव||
रंगों का त्यौहार है होली,
खुशियों की बौछार है होली।
नयी मस्तियाँ नयी उमंगें,
नव जीवन का सार है होली ।
खुशियों का त्यौहार है होली।।
धरती पे फैली हरियाली,
झूम रही है हर इक डाली ।
स्वागत में नैनन को खोले,
इक दूजे से कुछ कुछ बोले।
देखो ऋतुराज बसन्त आया है,
मिलजुल कर, बोलें प्रेम की बोली।
रंगों का त्यौहार है होली,
नव जीवन का सार है होली ।
मदमस्त पवन कर रही सुगन्धित,
धरती का हर कोना कोना।
मनभावन है रीत सुहानी,
हरी घास बन गयी बिछौना।
कोयल गाती है मतवाली,
धरती का श्रृंगार है होली।
नव जीवन का सार है होली,
खुशियों का त्यौहार है होली।
नोट-यह कविता काॅपीराइट के अंतर्गत आती है, कृपया प्रकाशन से पूर्व लेखिका की संस्तुति अनिवार्य है।