हौसला

विज्ञान वर्ग का छात्र साहित्यिक गतिविधियों का हिस्सा बने तो यह अतिरिक्त योग्यता कही जा सकती है। आजकल के युवा वर्ग साहित्य में रूची दिखाने में कमतर नहीं है। उत्तराखण्ड पुलिस में सेवारत संजयमोहन भी उन नव लेख्वारो मे सुमार है जो बहुत जिम्मेदारियों के बवजूद भी रचनाशील है। संजय, खास इस मायने मे कि वे ऐसे विभाग में सेवारत हैं जहां 24घण्टे तैनात रहना पड़ता है। यदि उन्हे थोड़ा सा भी समय बचता है तो वे साहित्य का रचनाधर्म निभाते हैं। उनकी और भी कई कविताऐं है। आजकल के माहौल में उनकी दिल को छू देने वाली कविता यहां प्रकाशित की जा रही है।
                                                                                                                                                    संपादक

||हौसला||

 

 


निराशा के इस दौर में,

हौसला बनाये रखिये।





मुफलिसी में कटे गर जिंदगी,

काम, फाके से चलाये रखिये।।



बदलेगा मौसम जरूर,

इस जहान्-ए-तबाही का।





बस नजरिया सही रखिये ,

और दुआओं की रफ्तार बढ़ाये रखिये।।


 


 



दीप जले हर देहरी पर।



 


दीप प्रज्ज्वलित हो,

निज घर पर,

इसके पीछे,

भाव यही था।।





घनघोर उदासी

के बादल,

कुछ छंट जाये,

समभाव यही था।।



संकट में भी,

हंसने का साहस,

निश्चित ही,

दुर्भाव नहीं था।।



बढें जीजिविषा

रुग्ण प्रजा की,

राजा का बस,

आह्वान यही था।।



दीप प्रज्ज्वलित हो,

निज घर पर,

इसके पीछे,

भाव यही था।।





घनघोर उदासी

के बादल,

कुछ छंट जाये,

समभाव यही था।।




 

- संजय मोहन जायसवाल



......उत्तराखंड पुलिस.....,

 

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