विज्ञान वर्ग का छात्र साहित्यिक गतिविधियों का हिस्सा बने तो यह अतिरिक्त योग्यता कही जा सकती है। आजकल के युवा वर्ग साहित्य में रूची दिखाने में कमतर नहीं है। उत्तराखण्ड पुलिस में सेवारत संजयमोहन भी उन नव लेख्वारो मे सुमार है जो बहुत जिम्मेदारियों के बवजूद भी रचनाशील है। संजय, खास इस मायने मे कि वे ऐसे विभाग में सेवारत हैं जहां 24घण्टे तैनात रहना पड़ता है। यदि उन्हे थोड़ा सा भी समय बचता है तो वे साहित्य का रचनाधर्म निभाते हैं। उनकी और भी कई कविताऐं है। आजकल के माहौल में उनकी दिल को छू देने वाली कविता यहां प्रकाशित की जा रही है।
संपादक
संपादक
||खाकी और खाकी||
इस खाकी को जब से,तन पर धर लिया है।ऐ जिंदगी,तुझे दूसरों के नाम कर दिया है।।
रब की मेहर से,बल में सेवा कर रहा हूँ,सीमित संसाधनों में भी,हंस के गुजर- बसर कर रहा हूँ।।अनगिनत चुनौतियों से,हर रोज दो-चार हो रहा हूँ,पुलिस का जवान हूँ,अतः आदतों में अपनी,इन्हें भी शुमार कर रहा हूँ ।।दिल न दुखाऊँ,किसी भी जन का,बुरा न होने पाये मुझसे,कभी भी किसी भी मन का,हर रोज अपने रब से,ये अरदास करता हूं,इन्सानियत जिन्दा रहे,बस यही प्रयास करता हूँ ।।
संजय मोहन जायसवाल,
....उत्तराखंड पुलिस....
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