कोरोना संकट: मायानगरी से मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत को भावनात्मक अपील

||कोरोना संकट: मायानगरी से मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत को भावनात्मक अपील||




मुम्बई स्थित उत्तराखण्डियों के कौथिग फाउण्डेशन ने आज मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को एक मार्मिक पत्र लिखकर मुम्बई में फंसे लोगो को उत्तराखण्ड पंहुचाने की अपील की है। फाउण्डेशन के प्रमुख और वरिष्ठ पत्रकार केशर सिंह बिष्ट ने बताया कि मुम्बई में रोजगार एकदम समाप्त हो गया है। कोरोना महामारी के कारण उत्तराखण्ड के हजारो नौजवान यहां रोजगार और भोजन के संकट में आ गये हैं। कहा कि मुंबई में कोरोना की मार से अपनेपन की आस में टूटते-बिखरते-कराहते उत्तराखंडी लोगो को मुख्यमंत्री से यही उम्मीदे बांधे हैं कि वे वापस अपने घर तो पंहुच जायेंगे।


ज्ञात हो कि देश के शेष हिस्सों की तरह मुंबई में भी उत्तराखंड की एक बड़ी आबादी कोरोना के कारण खान-पान की बुनियादी सुविधाओं से तंगहाल हो चुकी है, और उनके सामने अब भूख सबसे बड़ी चुनौती बन कर खड़ी हो गयी है। मुख्यमंत्री को प्रेषित पत्र में बताया गया है कि मुंबई के गांवदेवी (भांडुप), खिंडीपाड़ा (मुलुंड), हनुमान नगर (कांदिवली), इंदिरा नगर (ठाणे), खार, जोगेश्वरी, गोरेगांव, वसई, विरार, नालासोपारा, नवी मुंबई और तमाम उपनगरों की पतली-पतली गलियों के छोटे-छोटे कमरों में 6-6, 7-7 की संख्या में रह रहे उत्तराखंडी युवाओं में घर लौटने की गहरी बेचैनी है। उनके सामने अब बस एक ही लक्ष्य है कि उन्हें हर हाल में उत्तराखण्ड अपने घर पंहुचना है।


कौथिग फाउण्डेशन ने पत्र में भावनात्मक उल्लेख करते हुए अवगत करवाया है कि यहां उत्तराखंडी आनेवाले वक्त को संभालने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं हैं। पल-पल में युवा साथियों और परिवार के बीच अपने बच्चों की तड़प को लाचारगी से देखते-झेलते उत्तराखंडियों को मौजूदा वक्त उत्तराखण्ड सरकार की सख्त जरूरत है। कहा कि अगर इस दिशा में तत्काल कोई पहल नहीं की गयी तो यह पीढ़ी गहरे अवसाद में चली जाएगी। स्थिति यहां तक बन चुकी है कि हालात के आगे टूट कर कोई अनहोनी न कर दे। हालांकि मुख्यमंत्री (महाराष्ट्र) की घोषणा के बाद उनकी पल-पल टूटती उम्मीदों को ताकत मिली है। अतः सबकी नजरें उत्तराखण्ड सरकार की पहल पर है। जबकि फाउण्डेशन ने सामाजिक संगठन के नाते शहर के शीर्षस्थ प्रतिनिधियों के सहयोग से अब तक 1400 उत्तराखंडियों को खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाई है।