कोरोना संकट: सूची तो बनी, पर बीमा नहीं हुआ


||कोरोना संकट: सूची तो बनी, पर बीमा नहीं हुआ||


देशभर में कोरोना की जंग में सफाईकर्मी और स्वाथ्यकर्मी मैदान मे उतरे है। सरकारें इनके प्रति कितनी खरी उतरेगी जो समय की गर्त में हैं। जबकि भारत सरकार राज्य सरकारो को अगाह कर चुकी है कि अपने-अपने राज्यों के सफाईकर्मीयों व अन्य फ्रन्टलाईन के कर्मचारियों की हिफाजत के लिए आवश्यक कदम उठायें। उत्तराखण्ड के मुख्यमत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कोरोना की जंग में उतरे सफाईकर्मीयों को दुर्घटना होने पर 10 लाख रूपय की धनराशी मुख्यमंत्री राहतकोष से देने की घोषण की है।


इधर कुछ दिन तक उत्तराखण्ड शहरी विकास विभाग ने अपने स्थानीय शहरी निकायों के सफाई कर्मियों की सूची बनाने में तेजी दिखाई, कि वे सफाई कर्मियों का बीमा करने जा रहे है। किन्तु अब तक विभाग सफाई कर्मियों के बीमा की योजना पर कोई ठोस कदम नहीं उठा पाया है। ज्ञातव्य हो कि राज्य में 91 शहरी स्थानीय निकायों में आठ नगर निगम, 41 नगर पालिका परिषद और 42 नगर पंचायतें हैं। इनमें लगभग आठ हजार सफाईकर्मी कार्यरत हैं, जो मौजूदा समय में अपनी जान की परवाह किये बगैर कोरोना की जंग में मैदान में डटे है। इस दौरान वे सर्वाधिक संवेदनशील काम कर रहें है। रोजरात कोरोना सक्रंमित लोगो की सेवा भी कर रहे हैं और अन्य लोगो को इस महामारी से बचने के लिए उपयुक्त उपाय भी बता रहे हैं। यही नहीं वे सफाई की चाकचैबन्द व्यवस्था में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे है। इसके अलावा नर्से, चिकित्सक, आशा कार्यकर्ती, आंगनबाड़ी कार्यकर्ती भी मुख्य लाईन में रहकर कोरोना महामारी की जंग में कूद चुके है।



निदेशक शहरी विकास विनोद कुमार सुमन ने दूरभाष पर बताया कि उन्होने सफाईकर्मीयों के बीमा बावत कार्रवाई आरम्भ कर दी है। किन्तु इनकी बीमा की धनराशी कितनी होगी इसकी उनके पास व्यवस्थित जानकारी नहीं है, जिसे वे कार्यालय पंहुचकर स्पष्ट कर देंगे। कुलमिलाकर उत्तराखण्ड शहरी विकास विभग ने अपने स्थानीय निकायों से सफाईकर्मीयों की सूची तो मंगवा दी, मगर इस पर स्थिति अब तक स्पष्ट नहीं हो पाई है। स्थानीय निकायों में कार्यरत सफाईकर्मीयों का कहना है कि उनके पास अब तक कोई ऐसी सूचना नहीं आ पाई है कि उनका बीमा हो चुका है। स्थानीय निकायों में तैनात प्रशासक भी सफाईकर्मीयों के बीमा बावत कोई स्पष्ट जबाव नहीं दे पा रहे है। कुलमिलाकर सफाईकर्मियों का बीमा हुआ कि नहीं, इस पर संबधित विभाग जानकारी देने में हिलाहवाली कर रहा है।


गौरतलब हो कि कोरोना महामारी के इस दौर में इन फ्रन्टलाईन के कर्मचारियो हेतु भावनात्मक घोषणाऐं जो हो रही है वे एक बारगी ऐसे कर्मचारियों का हौंसलाफजाई तो कर रही है, मगर भविष्य में इनकी हिफाजत के वायदे कितने कारगर सबित होंगे, जिस पर संशय की स्थिति बनी हुई है। माना जा रहा है कि सरकार सिर्फ व सिर्फ सफाईकर्मीयों के बीमा के साथ-साथ अन्य फ्रन्टलाईन के कर्मचारियों का बीमा भी करवायेगी।