||सूझ-बूझ का प्रतिफल: हम जंग जीत गये, थोड़ा बाकि है||
देश के लोगो की समर्पणता और प्रधानमंत्री की सूझ-बूझ का नतिजा है कि आज कोरोना महामारी से हम लोग बाहर निकल आये है। हालांकि अभी भी हमें सुरक्षा का ख्याल रखना ही होगा। थोड़ी सी चूक हमें फिर से संकट में खड़ी कर सकती है। यही वजह है कि अपने देश में 418 लोग कोरोना वायरस के शिकार हुए है।
पिछले छः माह से पूरी दुनियां के लोग कोरोना महामरी से जूझ रहे है। भारत भी इससे अछूता नहीं रहा है। आंकड़े बताते हैं कि कोरोना महामारी काल में भारत की स्थिति बेहतर ही है। आंकड़े गवाह हैं कि पूरी दुनियां में लगभग 21 लाख लोग इस महामारी की चपेट में आये है। जिसमें से लगभग डेढ लाख लोग मौत के शिकार हुए हैं। जबकि लगभग पांच लाख से भी अधिक लोग उपचार पाकर स्वस्थ भी हुए हैं।
यह तो एक समरी है, पूरी दुनियां को लेकर। मगर कोरोना वायरस ने ईटली के बाद सर्वाधिक नुकसान अमेरिका को पंहुचाया है। अमेरिका और अन्य देश के लोगो ने इस महामारी को बहुत गम्भीर रूप से नहीं लिया है। यही वजह है कि अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश में अब तक कोरोना महामारी की चपेट में आकर 26112 लोग मौत के ग्रास में समा गये हैं। फिर भी अमेरिका ने लगभग सात लाख कोरोना संक्रमित लोगो में से 37315 लोगो को बचा भी लिया है। परन्तु हालात अभी भी सुधरने की स्थिति में नहीं बताई जाती है।
कुलमिलाकर सामान्य बीमारी से भी बचने के लिए चिकित्सक यही सलाह देते आये हैं कि सबसे पहले सतर्कता और सुरक्षा होनी चाहिए। प्रत्येक बीमारी का इलाज कारगर तभी साबित होता है जब व्यक्तिगत रूप से सुरक्षा की स्थिति में रहना हो। वरिष्ठ मनोचिकित्सक डायरेक्टर फोर्टिस नेशनल मेंटल हेल्थ प्रोग्राम दिल्ली के डा॰ समीर पारिख का कहना है कि ऐसी महामारी के बीच खुद की जिम्मेदारी सबकी सुरक्षा का ही मंत्र दवा का रूप लेती है। कोरोना महामारी की इस जंग में हमें अपनी दिनचर्या को भी नियत करना होता है और दूसरो का भी ख्याल रखना होता है। क्योंकि लाॅकडाउन है तो घर में ही रहकर इस सबके लिए संयम की नितान्त आवश्यकता है। एम्स दिल्ली की वरिष्ठ क्लिनिकल साइकोलाॅजिस्ट डा॰ सुजाता मिन्हास का कहना है कि ऐसे वक्त प्रतिक्रियाओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है। हमें पता है कि समय बहुत ही मुश्किल में है, तो संशय में वक्त बिताने के बजाय सकारात्मक रूख की ओर ध्यान देना चाहिए।
मनोरंजन जगत भी एकजुट
इधर देशभर में कई ऐसे पेशेवर हैं जिनके पास मेडिकल की डिग्री है और चिकित्सा क्षेत्र में काम भी कर चुके है। किन्तु वे वर्ममान में अभिनय के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रहे है। मौजूदा समय में कोराना महामारी के फैलने की वजह से देशभर में चिकित्सको की कमी होते देख ये चर्चित व पेशेवर चेहरे वापस चिकित्सा के क्षेत्र में सेवा दे रहे हैं। कोरोना वायरस से जंग को फतह करना चाहते हैं। यही वजह है कि इस जंग से मुकाबला करने के लिए मनोरंजन जगत भी एकजुट हो गया है। अब कई स्टार्स जिनके पास मेडिकल की डिग्री है वह इस संकट की घड़ी में मेडिकल स्टाफ बनकर लोगों की मदद करने का फैसला किया है।
अदिति गोवित्रिकरएक मॉडल, एक्ट्रेस होने के साथ ही एक डॉक्टर भी हैं। उन्होंने मुंबई के ग्रांट मेडिकल कॉलेज से साल 1997 में ग्रेजुएशन किया था। उन्होंने एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद ळलदंमबवसवहल ंदक व्इेजमजतपब में मास्टर्स की पढ़ाई करनी शुरू की थी। लेकिन मॉडलिंग के ऑफर्स आने के चलते उनकी मास्टर्स की पढ़ाई अधूरी रह गई थी।
नोट - यह आंकड़े WHO से साभार है दिनांक 15 अप्रैल 2020 तक के