डी एम मंगेश घिल्डियाल के आशा जगाते 3 वर्ष

||डी एम मंगेश घिल्डियाल के आशा जगाते 3 वर्ष||



 


रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी के रूप में मंगेश घिल्डियाल ने आज 3 वर्ष का कार्यकाल पूरा कर लिया है। ये 3 वर्ष उनके जनसेवक के रूप में जिले की जनता के हित-साधन में जुटे रहने और उन्हें यह विश्वास दिलाने में सफलता के वर्ष रहे हैं कि अधिकारी कितना भी बड़ा क्यों न हो, वह जनता से बड़ा नहीं होता।

 

जिले के सर्वोच्च अधिकारी के गौरव के साथ उसकी जिम्मेदारी भी उतनी ही बड़ी होती है, यह बातों और सिद्धान्तों से धरातल पर उतार कर अमलीजामा पहनाने वाले मंगेश जी एक अधिकारी से अधिक एक अभिभावक की तरह आम जन में लोकप्रिय हैं। वे जिले को स्वावलम्बी, विकासोन्मुखी और सरकारी तंत्र को जनता के मार्गदर्शक व सहभागी के रूप में स्थापित करने में एक बड़ी सीमा तक सफल रहे हैं। जिले में इस अवधि में अनेक अभिनव एवं लोकोन्मुखी कार्यकर्मों के द्वारा उन्होंने एक नई चेतना के मार्ग पर चलने के लिए जिले के लोगों, मुख्यतः युवाओं और महिलाओं को प्रेरित किया है।

 

एक आदर्श लोक सेवक के रूप में मंगेश घिल्डियाल जी ने जो कार्य-प्रणाली अपनाई है, वह भारत जैसे लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले देश में आशा का नव-संचार करती है। नौकरशाही के बढ़ते बोझ से झुकते भारतीय नागरिकों के कंधे अधिक झुककर टूट नहीं जाने वाले हैं, मंगेश जैसे भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी यह विश्वास जगाने में सफल हो रहे हैं, यह आशा बलवती हुई है।



 



आगाज़ तो अच्छा है..........



5 महीने बाद रुद्रप्रयाग को फिर नया जिलाधिकारी मिला है। आज यानी 17 मई 2017 को एकदम युवा मंगेश घिल्डियाल ने यहां के डी एम की जिम्मेदारी संभाली है और यह पहला ही मौका भी है कि सबसे पहली मुलाकात के लिए उन्होंने पत्रकारों को ही बुलाया।

 

यह अलग बात है कि मु म की वीडियो कांफ्रेंसिंग के कारण उन्हें 10 मिनट में ही इसे निपटा देना पड़ा लेकिन संक्षेप में भी जो कुछ उन्होंने कहा, वह इस बात को पुष्ट करता है कि पिछले 4 वर्षों में उन्होंने प्रशिक्षार्थी में रूप में विभिन्न पदों पर काम करते हुए जो कुछ सीखा या अनुभव किया है, वह बिल्कुल साफ है कि वे योजनाओं में पारदर्शिता, जनभागीदारी और परिणामपरकता पर ज्यादा ध्यान देने के पक्षधर हैं और उनका प्रयास रहेगा कि जो काम गांवों में होने हैं, उनकी जानकारी लोगों को हो। साथ ही लोग उनमें सक्रिय एवं सकारात्मक भागीदारी भी करें।

 

यद्यपि उनकी पहली प्राथमिकता यात्रा-व्यवस्था को चाकचौबंद रखना है लेकिन वे लोगों की दैनंदिन समस्याओं के समाधान के लिए भी प्रभावी तंत्र विकसित करने पर ध्यान देंगे- जैसे कि पानी की समस्या कितने दिन में सुलझ जाए, बिजली, सड़क जैसे मामले कितनी जल्दी निपटाए जा सकते हैं, आदि। स्कूलों, अस्पतालों की गुणवत्ता जैसे विषय भी उनकी प्राथमिकता में होंगे।



 

प्रेस से भी उनकी दोटूक बात यही थी कि आप यदि गलतियां उजागर नहीं कर रहें हैं तो आप अपने काम के साथ न्याय नहीं कर रहें हैं, यही माना जाना चाहिए। इस पर एक पत्रकार ने टिप्पणी भी की कि गेंद अब आपने हमारे पाले में ही डाल दी है!



 

प्रशासन और पुलिस के मामले में यह प्रचलित है कि उसमें ईमानदार व कर्मठ व्यक्ति ज्यादा दिन तक टिका नहीं रह सकता। या तो वह उन जैसा बन जायेगा या किनारे होकर पल्ला झाड़ लेगा अथवा कुंठित होकर अपना सिर पीटने लगेगा लेकिन मेरी मान्यता यह है कि अपवाद हर जगह होते हैं और जैसे युवा मंगेश के तेवर हैं, कुछ अच्छा देखने को भी मिल सकता है।