कोरोना संकट: नहीं सुधरेंगे निजी स्कूल, मनमानी का हुआ पर्दाफाश

||कोरोना संकट: निजी स्कूलो की मनमानी आई सभी के सामने||




यदि कोई भी विद्यालय कोरोना काल में नियमो का उलंघन करते पाया गया उसकी तत्काल प्रभाव से मान्यता रद्द भी की जा सकती है और अन्य कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है। इसके लिए जिलो के मुख्य शिक्षा अधिकारीयों को निर्देश किये गये हैं।  - (अरविन्द पाण्डे, शिक्षा मंत्री)



कोरोना काल में लोगो को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यहां स्कूलो की बात हो रही है। देहरादून और राज्य के अनेक मान्यता प्राप्त निजी स्कूल बिना स्कूल संचालन के अभिभावको पर फीस का दबाव बना रहे है। स्कूल वैन संचालक भी विद्यालय प्रशासन के शह पर अभिभावको पर अपने वैन के मासिक किराया का दबाव बना रहे है। जबकि स्कूल वैन तो लाॅकडाउन के बाद संचालित ही नहीं हुई है। इधर शिक्षा मंत्री अरविन्द पाण्डे ने बताया कि उन्होंने प्रत्येक जिले के मुख्य शिक्षा अधिकारियो को निर्देश दिये कि कोई भी विद्यालय अभिभावको को फीस बावत फिजूल परेशान न करे। ऐसे करने वाले विद्यालय की मान्यता तत्काल प्रभाव से रद्द की जाये।  


उपरोक्त का मसला एकदम समझ में आ रहा है। कोरोना वायरस के कारण जैसे लाॅकडाउन की घोषण हुई, वैसे मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के खातो में लोग राहत बावत धन जमा करवाने लग गये। इसी प्रकार उत्तराखण्ड में भी हुआ। कोरोना संकट में यहां की राज्य सरकार ने एक फरमान निकाला कि कोई भी विद्यालय अभिभावको से फीस नहीं वसूलेगा। स्कूल खुलने के बाद इस समस्या पर सोचा जायेगा। इस मामले में निजी स्कूलो के संचालको ने अपनी चालाकी सामने रख दी। उन्होने भविष्य को देखते हुए मुख्यमंत्री राहत कोश में अपने-अपने संगठन के माध्यम से धन जमा करवा दिया। इधर अभिभावको पर दबाव जारी रखा हुआ है कि वे अपने बच्चों की फीस जमा करवां दें अन्यथा उनके बच्चों को स्कूल से बाहर कर दिया जायेगा या अध्ययनरत छात्र-छात्रा का नाम विद्यालय पंजिका से पृथक कर दिया जायेगा।


ऐसे निजी विद्यालयों के कर्ताधर्ता मानवाधिकारो को धत्ता बताते हुए अभिभावको को मैसेज, हवाट्सएप् आदि से लगातार धमकी भरे लहजे में कह रहे हैं कि वे जल्दी अपने पाल्यों की फीस जमा करवा दें। इसके अलावा ऐसे निजी विद्यालय प्रशासन भी अभिभावको को स्कूल वैन के मासिक किराया के लिए भी लगातार सन्देश भिजवा रहें है कि वे फीस के साथ-साथ स्कूल वैन का किराया भी विद्यालय अथावा वैन मालिक को जमा करवा दे। अब अभिभावको को अपने बच्चों के भविष्य की चिन्ता सता रही है कि यदि वे सरकार के फरमान के भरोसे रहे तो उनका बच्चा स्कूल से बाहर हो जायेगा और अच्चे का वर्ष भी बरबाद हो जायेगा।
सैकड़ो अभिभावको ने नाम न छापने बावत कहा कि उनका बच्चा न तो स्कूल जा रहा है, ना ही स्कूल की वैन इस्तेमाल कर रहा है और विद्यालय फिजूल में उनसे हजारो रूपय वसूल रहा है। इधर शिक्षा सचिव आर॰ मिनाक्षी सुन्दरम् के हस्ताक्षरित पत्र में सभी विद्यालयों को कोरोनाकाल में अभिभावको से फीस ना वसूलने का निर्देश स्पष्ट रूप से किया गया है। जबकि कुंवर जपेन्द्र सिंह की याचिका पर भी उच्चन्यायालय नैनीताल ने सरकार को आदेश किया कि जो विद्यालय फीस वसूल रहे हैं या दबाव बना रहे है उन पर तत्काल रोक लगा दी जाय, या आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाये।


निजी विद्यालय संचालको का कहना है कि वे तो सिर्फ ट्यूशन फीस की मांग कर रहे है। जबकि सैकड़ो अभिभावक विद्यालयों द्वारा भेजे गये फीस वसूली के सन्देशो को दिखा रहे है। अतएव इन सन्देशो की स्क्रीनशाट विद्यालयों की मनमानी का पुख्ता प्रमाण है। जिस पर कोई भी जिम्मेदार अधिकारी कहने के लिए तैयार नहीं है। शिक्षा मंन्त्री से दूरभाष पर सम्पर्क करने पर बताया गया कि सरकार ने जिलों के सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियो को शख्त आदेश दिया गया कि जो भी विद्यालय ट्यूशन फीस के अतिरिक्त चार्ज वसूलते पाया गया उसकी त्वरित मान्यता रद्द कर दी जाये।


तिकड़मबाजी गवाह है कि राज्य के ऐसे निजी विद्यालयों के संगठनो ने मिलकर मुख्यमंत्री राहत कोश में लाखों की धनराशी जमा करवाया है। अर्थात अब इन स्कूलो को कौन भला जो कह पाये कि वे गलत कर रहे हैं या अभिभावको के साथ अन्याय हो रहा है, जिस पर भविष्य में कार्रवाई की जा सकती है, बगैरह। मगर निजी विद्यालय संचालक बिना स्कूल संचालन के अभिभावको पर फीस जमा करने का दबाव बना रहे है। मौजूदा संकट के वक्त शिक्षा के इन मंदिरों के प्रबन्धको की करनी सामने आ चुकी है कि ये शिक्षा के मंदिर नहीं यह तो शुद्ध रूप से मुनाफा कमाने का अड्डा है। जहां पर मानवता को तार-तार किया जा रहा है।