औरत कोई देवी नहीं


डॉक्टर दीपशिखा जोशी मूल रूप से उत्तराखंड के चंपावत ज़िले से हैं. कुमाऊं यूनिवर्सिटी नैनीताल से केमिस्ट्री विषय में डाक्टरेट हैं. पढ़ने-पढ़ाने का काम करती हैं.फिलहाल एक नन्हीं सी बिटिया की परवरिश कर रही हैं.हिन्दी साहित्य लेखन में उनकी विशेष रूची है।



||औरत कोई देवी नहीं||

नहीं वो कोई देवी नहीं, इंसान है बस. उसको केवल कन्या-पूजन में मत पूजो. ताकि वो ज़िंदगी भर देवत्व के भ्रम-बोझ में बंध-दब अपनी ज़िंदगी खुल के ना जी पाए. जैसे आप कोई देवता नहीं इंसान हैं. जैसे आप को होता है दर्द. आप से होती हैं ग़लतियां. वैसी ही हैं वो भी. वो कोई देवी नहीं.

आप को श्रद्धा है यदि उनके गुणों के प्रति तो आप करिए उनका सम्मान. दीजिए उनका साथ. जीवन के हर उस मोड़ पर जब उसे सहनशील, सुशील, कर्मठ, अबला, जगत्-जननी समझ छोड़ दिया जाता है अपनी लड़ाई लड़ने को अकेले.

हां ये सच है कि हर महीने पीरियड्स केवल लड़कियों को ही हो सकते हैं. आप कुछ बदल नहीं सकते. बस साथ दीजिए उनका जब वो इस मानसिक व शारीरिक बदलाव से जूझ रही हों. अगर होती वो कोई देवी तो नहीं छिपाना पड़ता उसे चुनरी में लगा दाग़. हां वो कोई देवी नहीं. बहुत तकलीफ़ होती है उसको इस अनचाही मगर ज़रूरी समस्या से. लगभग 12 से 50 साल. पूरे 5 से 7 दिन.

हां, ये भी सच है कि केवल लड़की को जाना पड़ता है अपना घर-परिवार छोड़कर शादी के बाद. केवल इतना मत सोचिए-बोलिए कि दोनों में से एक को तो ये करना ही पड़ेगा. उनका सम्मान कीजिए. उनके दोनों घरों में.

हां वो कोई देवी नहीं. बहुत कठिन होता है उनके लिए. वो जगह, लोगों को छोड़ना जहां उन्होंने अपना लगभग आधा जीवन बिताया हो. अगर होती वो देवी तो सोचिए अपने घर की देवी को आप कभी दूसरे घर ना भेजते. ना बोलते कि अच्छा है या बुरा, अब वो ही घर है तेरा. अब ये मत सोचिएगा कि एक देवी को विदा कर लाते हैं दूसरी देवी घर. बहू के रूप में.

हां ये सच है कि एक नया जीवन अपनी कोख से देने की केवल उसमें सामर्थ्य है. मगर ये कभी मत सोचिए कि ये उस के लिए बायें हाथ का खेल है. बहुत शारीरिक-मानसिक तकलीफ़ों से गुज़रती है वो. कई सालों तक या जीवन भर. इसको पूरा करने में.

सच में वो कोई देवी नहीं. बहुत दर्द होता है जब बिना एनस्थिसिया, देती है वो एक बच्चे को जन्म. बहुत ज्यादा दर्द! क्या आप महसूस कर सकते हैं? नहीं, कभी नहीं. आप नहीं कर पाएंगे. बस आप उन कठिन 9 महीनों में उनका साथ दें. जब वो अपना व अजन्मे बच्चे का पूरी ईमानदारी से पोषण कर रही होती हैं. जन्म देने से लेकर आखिरी सांस तक. हमेशा साथ दें दिल से.

वो कभी नहीं चाहती अपनी पूजा करवाना या कोई वाहवाही. बस चाहती है कि आप समझें उस की परिस्थितियां.

अगर होती वो कोई देवी तो ना फंसती कभी किसी मनचले के चंगुल में. नहीं होता कभी रेप उसका. नहीं है वो कोई देवी! दर्द होता है उसे बहुत. जब कोई करता है उस के साथ बदतमीज़ी. या बिना मर्ज़ी के छू भी ले कोई. ग़लत इरादे से. डर जाती है वो बहुत. आत्मा तक जल जाती है उसकी,जब होता है एसिड-अटैक. जब जलाई जाती है वो ससुराल में दहेज के लिए.

जब मारा जाता है उसके आत्मसम्मान को थप्पड़. तड़प रही होती है वो.

नहीं बिलकुल नहीं! नहीं है वो कोई देवी! उसे भी उतना ही पढ़ना पड़ता है, कोई परीक्षा पास करने को जितना पढ़ता है एक लड़का. वो भी उतनी है मेहनत करती है जॉब में प्रमोशन पाने के लिए. उसे भी चाहिए बराबर की सैलरी.

नहीं वो कोई देवी नहीं! मत कीजिए उस पर दया. उसकी ज़रूरतें भी बिलकुल उतनी ही हैं जितनी आपकी. एक इंसान की. अब और भ्रमित ना करिए उसे.

वो नहीं है कोई देवी! जो जैसे आप चाहो मन्नतें करती रहेगी पूरी. सबकी मन्नतें, मात्र एक दिन के पूजन से.

नहीं है वो देवी! अगर होती तो नहीं झांकता कोई उसकी चोली के पीछे. नहीं होती वो कभी बदनाम. नहीं ढूँढते उसकी नग्न पिक्चर इंटेरनेट साइट्स पर.

नहीं रहना चाहती वो बारोंमास लिपटे आवरण में. उसे भी मन होता है, मौसम-फ़ैशन के अनुसार कपड़े बदलने का. क्योंकि वो सच में कोई देवी नहीं.

वो इतनी भी सहनशील नहीं कि आप बोल-बोल कर उसके मुद्दों, उसके दर्द को इगनोर कर देते हैं.

जैसे आप तनाव, अधिक काम व अकेलेपन को बहाना बना, पीते हैं दारू, सिगरेट, हुक्का. बिलकुल उनको भी होता है फ़ील वैसा ही तनाव. नहीं वो कोई देवी नहीं! केवल इंसान है.

आप रखिए उसकी इच्छाओं का भी ख़्याल. जैसा व्यवहार आप चाहते हैं अपने लिए. व बिलकुल वैसा ही कीजिए उनके साथ भी. क्योंकि वो देवी नहीं! बिलकुल नहीं! वो भी हैं हाड़-मांस की देह बिलकुल आपकी तरह