"ओण" जलाने की लापरवाही से आरंभ हुई आग

||"ओण" जलाने की लापरवाही से आरंभ हुई आग||

 

हिमालय के जंगलों में हर साल गर्मी के मौसम में आग लगने की घटनाओं का बढ़ना पर्यावरण के लिए चिंता का विषय बन गया है. इसी से जुड़ी एक मानवीय पहल के बारे में पढ़ें.



 


भरी दोपहरी में जब आदमी कमरे के अंदर भी गरमी से राहत पाने के लिए पंखे या AC का सहारा लेता है, तब जंगल में आग बुझाने के मुश्किल काम के लिए कम ही लोग निकलेंगे. पर जब मन में कुछ करने की इच्छा हो, अपने जंगलों से वास्तव में प्यार हो तो आदमी पीछे नहीं देखता. यही किया ग्राम सूरी, विकासखंड - ताड़ीखेत, जिला अलमोड़ा की एक दर्जन से अधिक महिलाओं ने, जो पर्यावरण संरक्षण की नई कहानी लिख रही हैं.



 

जागरूकता के अभाव में मई के महीने में "ओण" जलाने की लापरवाही से आरंभ हुई आग जब हवा की लपटों का सहारा पाकर पेड़ों की चोटियों को छूती हुई 21 फीट चौड़ी सड़क को पार कर वन पंचायत से आरक्षित वन क्षेत्र में प्रवेश कर गई, तो ग्राम सूरी की इन जांबाज महिलाओं ने मोर्चा संभाला. किसी भी तरह के सहायक उपकरण के अभाव में* केवल *दरांती व झांपे के सहारे* आग को बुझाने में महिलाओं ने पूरी ताकत लगा दी.



 

गांव के ही युवा व्यवसायी गणेश परिहार, मटीला के प्रधान पूरन सिंह, पूर्व सरपंच चंदन भंडारी व चंदनसिंह, वन रक्षक कुबेर के साथ डेढ़ दर्जन लोगों ने पूरे डेढ़ घंटों तक आग पर काबू करने की कोशिश की. एक बार तो आग पर काबू कर चुके थे, परंतु हवा की तेज़ लपटें आग को नियंत्रण से बाहर ले गईं और लगभग 70 डिग्री का कोण बना रही पहाड़ी में आग तेजी से ऊपर को बढ़ गयी.



 

कुछ ही देर में शीतलाखेत वन चौकी से वन रक्षक आनंद परिहार, श्याम बिहारी, राजन राम, संजय तथा धामस के पूर्व प्रधान खीम सिंह आदि के साथ एक और दल पहुँच गया. फिर आग को काबू करने के लिए वन विभाग ने मोर्चा संभाला और देर रात तक सफलता हांसिल कर ली.



 

ग्राम सूरी में ऐसा पहली बार हुआ - जब जंगल की आग को बुझाने के लिए महिलाओं को आवाज देकर बुलाया गया "तली मली बाखई वालो जंगल में आग लाग रो, समूह वाल जाओ आग बुझाओ" आमतौर पर इस तरह की पुकार सामाजिक कार्यों शादी विवाह आदि में ही लगाई जाती है. हालांकि लगभग 100 परिवारों वाले ग्राम सूरी से एक दर्जन महिलाओं ने ही अपने जंगल को बचाने के लिए बाहर निकलने का साहस दिखाया.



 

यदि कुछ और परिवारों ने यह जज्बा दिखाया होता तो आग को पहले ही रोक लिया जाता.



फिर भी ग्राम सूरी की महिलाओं को सलाम - जिन्होने जंगलों को बचाने में महिलाओं की भूमिका को पुनः रेखांकित किया है. बेहद कम संसाधनों ,सुविधाओं के बावजूद लगातार 6 घंटों तक मेहनत कर आग को बुझाने वाले वन विभाग के कर्मियों को भी सलाम.