सुझाव: स्थानीय स्तर पर बने स्वरोजगार की योजना


||सुझाव: स्थानीय स्तर पर बने स्वरोजगार की योजना||


कोरोना काल में रिवर्स पलायन के पश्चात् पुनः पलायन रोकने हेतु कैसे हो स्थानीय संसाधनों का विकास को लेकर गोपेश्वर स्थित ड्रीम्स संस्था द्वारा आयोजित ऑनलाइन वीडियो व्याख्यान माला में राज्य की मूलभूत समस्याओं पर लोगो ने बेबाक रूप से अपनी बात रखी। इस दौरान 24 से ज्यादा सामाजिक कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी एवं विषय विशेषज्ञों ने पलायन को कैसे कम किया जाये इस पर अपनी राय रखी। यह भी निर्णय लिया गया कि इस दौरान के सुझावों को एक डाक्यूमेंट्री के तहत राज्य सरकार को भेजा जायेगा ।


एसडीएस के संस्थापक अनूप नौटियाल ने बेबीनार संबोधित करते हुए कहा कि राज्य के 10 जिलों में वापस आये प्रवासियों के लिए राज्य सरकार कोई ठोस योजना बनायें। शिक्षक संघ के कोषाध्यक्ष सतीश घिल्डियाल ने कहा कि स्वरोजगार हेतु योजनाओं का रूप शार्ट टर्म हों और जल्दी से लागू हों। उन्होंने इंडस्ट्रियल हैम्प (भाँग) की खेती करवाने पर जोर दिया है। कहा कि भांग बहुत अधिक महंगी बिकती है और जानवर भी इसे नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। विजय प्रसाद मैठाणी ने भी पलायन के आंकड़ों को रखते हुए पर्यावरण की बहुत सी सभावनाओं की ओर ध्यान आकर्षित किया। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता संजय शर्मा ने अपने अपने गावों में लौटे लोगों के लिए सरकार से ईमानदारी से काम करने पर जोर देते हुए नये छोटे बड़े कारखाने लगाने की बात कही ताकि लोगों को रोजगार मिल सके। 


हरियाली फाउंडेशन के उपाध्यक्ष राम चन्द्र भट्ट ने सेवानिवृत कर्मचारियों के अनुभवों को सम्मिलित कर लघु एवं कुटीर उद्योगों को विकसित करने की बात कही। उन्होंने सरकार को लोगों के लिए बहुत कम व्याज दर पर आसान किस्तों में पूर्ण किए जाने वाले लोन उपलब्ध कराने की सलाह दी। नेहरू युवा केंद्र चमोली के समन्वयक योगेश धस्माना के अनुसार उत्तराखंड के पलायन और अन्य प्रदेशों के पलायन में बहुत अंतर है। यहां स्किल्ड लोगों की अधिकता है, तो उनके लिए बहुत जल्दी उसी तरह की योजना बनाने की आवश्यकता है। एक ढांचागत नीति के तहत लोकल क्षेत्र की आर्थिकी को मजबूत करने के लिए काम करने वालों के लिए सब्सिडी के बजाय उन्हे सीधा सरकारी लाभ पंहुचाने की आवश्यकता है। एच.पी. ममगाईं ने पशुपालन एवं हर्बल विकास की प्रबल सभावनाएं बताई। शिक्षक अमित कपरुवाण ने लोकल श्रोतों को तकनीकीय स्वरुप देकर विकसित करने एवं पुनः हिमालयी संसाधनों के विकसित करने के साथ साथ प्रचुरता में उत्पादन पर जोर दिया। फिल्म निर्माता एवं निर्देशक प्रदीप भंडारी ने इसे एक प्रकार से पुनर्स्थापन नाम दिया और इसे दो श्रेणियों में बाँटा पहली वो जब आज लौटे व्यक्ति के पास कुछ भी नहीं,  जिसे स्थापित करने हेतु सरकारी मदद या अन्य क्षेत्रीय समर्थन की आवश्यकता है और एक दीर्घकालीन जब वह स्वयं में निर्भर होने की स्थिति में होगा। दोनों परिस्थियों के लिए सरकार को गंभीर योजनाएं बनाने की आवश्यकता है। 


नैनीताल हाईकोर्ट के अधिवक्ता भागवत सिंह नेगी ने कहा कि क्षेत्रीय संसाधनों का विकास इस तरह से हो कि अपनी रोजी का साधन व्यक्ति पहाड़ों पर ही ढूंढे। कृषि, पशुपालन, पर्यटन, पर्यावरण पर अभी तक कोई भी सरकार गंभीरता से काम नहीं कर पाई है, जो अब तकनीकीय स्वरुप देकर और भी आसान हो सकता है बस जरुरत सोच और नीयत की है। यूथ आइकन के संस्थापक समाजसेवी शशिभूषण मैठाणी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा क्षेत्रीय संसाधनों को विकसित करने के लिए बनायी जा रही योजनाओं की सम्पूर्ण एवं सही जानकारी सभी लोगों तक पहुंचायी जाय। रा.उ.मा पालाकुराली जखोली रूद्रप्रयाग में विज्ञान के अध्यापक अश्विनी गौड़ ने लोकल उत्पाद की अधिकता एवं उनको ब्रांड बनाकर तकनीकी ढंग देकर उसका वृहद व्यापार करने का सुझाव दिया। खटीमा से वरिष्ठ पत्रकार कमलेश भट्ट ने सुझाव दिया कि आज पलायन के बाद पहाड़ पहले जैसे नहीं रहे अब बिना किसी सटीक सरकारी योजना के यहां कुछ भी संभव नहीं है। सरकार जंगली जानवरों से निजात पाने के साथ-साथ कृषि पर एक मजबूत योजना बनाये। अमर उजाला वाराणसी के वरिष्ठ उप संपादक रमेश कुड़ियाल के अनुसार सरकार को एक ऐसी व्यावहारिक योजना बनानी होगी जिससे एक आम आदमी की आमदनी सम्मान जनक एवं उसकी जीविका चलाने योग्य हो।
स्त्री रोग विशेषज्ञ डाॅ. नूतन गैरोला ने अपने पहाड़ के अनुभवों का हवाला देकर सरकार को महिलाओं के लिए विशेष योजनाएं बनाने पर जोर दिया, क्योंकि महिलाएं ही पहाड़ पर ज्यादा जूझती हैं। वरिष्ठ पत्रकार जितेन्द्र अंथवाल ने सरकार से सबसे पहले कम समय में आउटपुट देने वाली फसलों हेतु योजना बनाने के लिए सुझाव दिया। असिस्टेंट प्रोफेसर डिग्री कॉलेज मंगलोर हरिद्वार डा0 शिखा ममगाईं ने कहा कि लोकल प्रोडक्ट्स को बढ़ावा देने एवं लोकल त्योहारों की आवश्यकता के प्रोडक्ट्स की मांग बढ़ाने पर जोर देना चाहिए। हिमाद संस्था के निदेशक डा0 डी.एस. पुंडीर ने क्षेत्रीय स्रोतो का सही उपयोग कर फल एवं सब्जी उत्पादन, डेरी उत्पादन हेतु प्रयास करने का एवं इसके लिए योजनाएं बनाने का सुझाव दिया। रमेश पेटवाल ने कहा कि सरकार के पास यह एक अच्छा मौका है, जो व्यक्ति वापस आये हैं वे कुछ न कुछ स्किल ले के वापस आये हैं। उन्हे उनके रूप से ही काम से जोड़ा जाय। चरेखा इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की डायरेक्टर डा0 माधुरी डबराल ने सरकार को चकबन्दी पर अति शीघ्र काम करने पर जोर दिया और तब तक लोगों को सूक्ष्म समय के उत्पादों जैसे फल एवं सब्जियों एवं पशुपालन को बढ़ावा देने पर जोर दिया।


डा0 महेंद्र पाल सिंह परमार, असिस्टेंट प्रोफेसर डिग्री कॉलेज उत्तरकाशी ने लोकल उत्पादों में मतस्य पालन को भी एक महत्वपूर्ण उत्पाद माना और इससे भी बहुत फायदा होने की आशा जताई। इसके साथ ही आपने जड़ी बूटी पर अच्छी योजना बनाकर काम करने की आवशयकता बताई। पीपलकोटी से आगाज फेडेरशन के अध्यक्ष जगदम्बा मैठाणी ने कृषि, उद्यानी, पशुपालन एवं जड़ीबूटी से लोगो को जोड़ने की बात कही। इस दौरान ड्रिम्स संस्था के उपाध्यक्ष राकेश मैठाणी, संस्था के महासचिव दीपक नौटियाल, गंभीर सिंह जयाड़ा ने बताया कि कोरोना महामारी के कारण विभिन्न राज्यों से आये प्रवासीयों के लिए ड्रीम्स संस्था द्वारा एक अभिनव प्रयोग किया गया कि वे अपने गाँव में रहकर ही रोजगार कमा सकते है।