जलग्रहण विकास दल का गठन, कर्तव्य एवं दायित्व

(द्वारा -  वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय, कोटा


किताब - जलग्रहण विकास-क्रियान्यवन चरण, अध्याय - 02)


सहयोग और स्रोत - इण्डिया वाटर पोटर्ल-


||जलग्रहण विकास दल का गठन, कर्तव्य एवं दायित्व||


भू संसाधन विभाग, ग्रामीण विकास मन्त्रालय, भारत सरकार द्वारा जलग्रहण विकास परियोजनाओं हेतु जारी की गई मार्गदर्शी सिद्वान्त ( ) हरियाली ( ) के पैरा 15 के अन्तर्गत प्रत्येक परियोजना क्रियान्वयन अभिकरण(---)अपने कर्तव्यों को जलग्रहण विकास दल नामक एक बहुआयामी दल के जरिये पूरा करेगा। इसके लिए 10 जलग्रहण परियोजनाओं के लिए एक 4 सदस्यीय जलग्रहण विकास दल का गठन किया जाना अनिवार्य है। जलग्रहण विकास परियोजनाओं के अन्र्तगत सस्ती, सुलभ, टिकाऊ एवं सर्वोत्कृष्ट तकनीक स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कराने के उद्येश्य से जलग्रहण विकास दल के सदस्यों का नियोजन आवश्यक है। जलग्रहण विकास दल के गठन करके उनको आवश्यक प्रशिक्षण दिलवाया जनान आवश्यक है। जलग्रहण विकास दल का जलग्रहण परियोजनाओं के लिए जो सामूहिक दायित्व है, उसका विवरण परिशिष्ट-क पर संलगन किया जा रहा है। कुछ उनकी विशेषज्ञता से सम्बन्धित ऐसे दायित्व है जिन्हें उनको व्यक्तिगत रूप से निष्पादित करने हैं, सामाजिक विज्ञप्ति के लिए परिशिष्ट-ख पर कृषि विज्ञानी का परिशिष्ट-ग पर, पशुपालन विशेषज्ञ का परिशिष्ट-घ पर और अभियांत्रिकी विशेषज्ञ का परिशिष्ट-च पर उनके दायित्वों का विवरण संलग्न कर दिया गया है।


 जलग्रहण विकास दल की सेवाएं परियोजना के लिए जब तक राशि प्राप्त होती रहे तब तक ही ली जानी चाहिए। सामान्यता परियोजना अवधि 5 वर्ष की होती है। एग्रीमेंन्ट भरवाने का काम प्रारम्भ में अनिवार्य रूप से पूरा कर लिया जाना आवश्यक है। जलग्रहण विकास परियोजनाओं को गति देने एवं गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए दल के सदस्यों का माह में प्रायः 20 दिवस जलग्रहण परियोजनओं का भ्रमण सुनिश्चित करना होता है। परियोजना क्रियान्वयन अभिकरण इनके कार्य एवं सामाजिक भुगतान हेतु उत्तरदायी होते हैं।


जलग्रहण विकास दल के चार सदस्यों में सिविल/कृषि अभियांत्रिकी विशेषज्ञ, कृषि विशेषज्ञ, पशुधन विशेषज्ञ, समाज विज्ञान विशेषज्ञ सम्मिलित होतें हैं। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के परिपत्रक्रंमाक फ. 15 (4) गा्रवि/भू.स./06 दिनांक 4.9.2006 तथा 27.2.2007 के द्वारा जलग्रहण विकास दल के नियोजन के सम्बन्ध में निम्नलिखित बिन्दुओं पर राज्य सरकार के स्तर से दिशा निर्देश जारी किये गये हैं।-



  • संविदा के आधार पर सेवाये लिये जाने के सम्बन्ध में परियोजना क्रियान्वयन संस्था के अधिकृत प्रतिनिधि तथा जलग्रहण विकास दल के सदस्यों के मध्य हस्ताक्षर किये जाने वाले अनुबन्ध पत्र का प्रारूप।

  • परियोजना क्रियान्वयन हेतु नियोजित जलग्रहण विकास दल द्वारा दी जाने वाली सेवाओं का विवरण।

  • जलग्रहण विकास दल के सदस्यों की चयन हेतु योग्यता एवं मानदेय का विवरण।

  • जलग्रहण विकास दल के सदस्यों हेतु एकीकृत तथा पृथक-पृथक कर्तव्य एवं दायित्वों का विस्तृत विवरण।

  • सामान्य वित्तीय एवं लेखों नियमों के अनुसार कन्सलटेन्सी लेने की व्यवस्था नियम 38 ए के एपेण्डिक्स 5 में दी गई है, इसके अनुसार परियोजना क्रियान्वयन अभिकरण और जलग्रहण विकास दल के सदस्यों के बीच एक अनुबन्ध किया जाना वांछनीय है। अतः जलग्रहण विकास दल के लिए सौ रूपये के नान ज्यूडिशियल स्टाम्प पर एक प्रकार का अनुबन्ध करवा लिया जाना चाहिए, ताकि भविष्य में कोई विधिक कठिनाई नहीं आवें।

  • प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान जलग्रहण विकास दल के नवनियुक्त सदस्यों की जलग्रहण विकास कार्यक्रमों हेतु दक्षता वृद्धि की जावेगी तथा प्रशिक्षण उपरान्त यह अपेक्षा की जाती है कि प्रत्येक सदस्य निम्नलिखित बिन्दुओं पर व्यापक ज्ञान अर्जित कर लेवें-

  • डब्ल्यू. डी. टी. कार्यालय की स्थापना

  • जलग्रहण विकास परियोजना के मुख्य उद्येश्य,

  • जलग्रहण क्षेत्र का चयन मापदण्ड

  • संस्थागत व्यवस्थाओं का विवरण

  • पी. आई. ए. , डब्ल्यू. डी.. टी, एस. एच. जी. एवं यू. जी. की भूमिका एवं परस्पर समन्वय,

  • जलग्रहण क्षेत्र में किये जाने वाले विभिन्न विकास कार्य जिसमें कृषि/अकृषि भूमि पर संरक्षण एवं उत्पादन विधियां, निकास नाली उपचार अन्तर्गत विभिन्न प्रकार के जल भण्डारण/पुनर्भरण संरचनाओं का तकनीकी ज्ञान, पशुधन विकास गतिविधियां,

  • वित्तीय प्रबन्धन, श्रमिक नियोजन, भुगतान प्रक्रिया

  • उपभोक्ता एवं स्वयं सहायता समूहों को गठन  एवं सशाक्तिकरण,

  • लेखा एवं रिकार्ड संधारण, सामाजिक अंकेक्षण

  • जलग्रहण विकास कोष की स्थापना, संचालन एवं परियोजना पश्चात रखरखाव, पारदर्शिता एवं बर्हिगमन व्यवस्था का ज्ञान

  • प्रशिक्षण एवं सामुदायिक संगठन

  • पी. आर. ए./ पी. एल. ए. तकनीक का विस्तृत ज्ञान,

  • डी. पी. आर. तैयार करने के नियम, प्रक्रिया एवं सावधानियाँ,

  • अन्य विभाग की योजनाओं के साथ समेकन

  • टीम भावना से सबको साथ लेकर काम करने का महत्व इत्यादि

  • न जाग्रति पैदा करना।


प्रत्येक जलग्रहण विकास दल के सदस्य को प्रत्येक माह में 20 दिन आवंटित जलग्रहण परियोजना क्षेत्रों में एकल अथवा सम्मिलित रूप से भ्रमण किया जाना होगा तथा नियमित डासरी भरी जानी होती है। इस डायरी में प्रत्येक दिवस में किये गये कार्यो का विस्तृत व्यौरा उल्लेखित करना होता है। डब्ल्यू. डी. टी. सदस्यों द्वारा प्रत्येक माह की पहली तारीख को मासिक रिपोर्ट पी. आई. ए. को प्रस्तुत की जानी चाहिए।


प्रत्येक जलग्रहण सदस्य को यह  भी सलाह दी जाती है कि सम्पूर्ण वर्ष हेतु माहवार किये जाने वाले प्रमुख-प्रमुख कार्यो/ गतिविधियों की कार्य योजना तैयार कर लेवें तथा इस हेतु प्रत्येक गतिविधि के सम्बन्ध में आवश्यक समय सीमा पहले से तय कर लें, तदानुसार भौतिक एवं वित्तीय लक्ष्यों के साथ-साथ प्रबन्धकीय व्यवस्थाओं हेतु क्या-क्या कार्यवाही की जानी है, इसका भी उल्लेख अंकित करे।


जलग्रहण विकास दल के सदस्यों को महत्वपूर्ण कार्य जलग्रहण परियोजना हेतु तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान करना है जिस हेतु उन्हें यह सलाह दी जाती है कि वे अपने क्षेत्र का नियमित भ्रमण कर जलग्रहण क्षेत्र में आने वाले प्रत्येक परिवार से मिलें, उनकी आवश्यकताओं की जानकारी प्राप्ति करे, पी आर. ए. के उपरान्त जलग्रहण विकास कार्यक्रम की वार्षिक एवं मासिक कार्य योजना तैयार करें। किसी भी प्रकार की अनियमितता यदि आपके क्षेत्र में देखी जाती है तो उसी तत्काल सूचना अपने से सम्बन्धित परियोजना क्रियान्वयन संस्था ( पंचायत समिति ) को लिखित में देवें।


जलग्रहण विकास दल के सदस्य को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रत्येक स्तर पर पूर्व निर्धाति तिथियों के हिसाब से बैठकें आवश्यक रूप से होती हों, बैंठकों में व्यापक विचार-विर्मश, चर्चा, अरोप-प्रत्यारोप पारदर्शिता होती हों तथा आक्षेपों का निवारण अगली बैंठक में आवश्यक रूप से पूर्ण किया जाता हो।


जलग्रहण क्षेत्र में सफलता  इस बात पर निर्भर करती है कि आपने पूर्व निर्धारित कुँओं के जल स्तर, फसल उत्पादन एवं उत्पादकता के आकड़े, कृषि जोत क्षेत्र में बढोत्तरी, स्थानीय स्तर पर रोजगार के साधन सुलभ कराने, कृषि के साथ-साथ अन्य आमदनी के साधन जिसमें पशुपालन एवं घरेलु उद्योग धन्धे सम्मिलित हैं के सम्बन्ध में लाभान्वित परिवार एवं वितरण सुविधांए ग्रामीण समुदाय का समूहों के रूप में सशाक्तिकरण एवं बैंकों से सम्बद्वता, आधारभूत सुविधाओं का जलग्रहण क्षेत्र में क्रियान्वयन, प्रति परिवार आय में वृद्धि, चारा जलाऊ ईधन के उपयोग हेतु स्थानीय स्तर पर आत्मनिर्भरता, ग्राम पंचायत से समन्वय इत्यादि के क्षेत्र में परियोजना प्रारम्भ से पूर्व से परियोजना समाप्ति तक कितनी प्रगति अर्जित की है। साथ ही निकटवर्ती क्षेत्रों में आपके क्षेत्र में किये गये कार्यो को उनके क्षेत्रों में भी कराये जाने की मांग जोर शोर से उठती होवे। अतः आप परियोजना प्रारम्भ करने से पूर्व विभिन्न आधारभूत मापदण्डों का वर्तमान स्तर व्यवस्थित रूप से पृथक-पृथक रजिस्टर में रिकार्ड कर लेना चाहिए।


भारत सरकार /ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग/निदेशालय जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण विभाग/जिला परिषद /पंचायत समिति के समय-समय पर जारी होने वाले परिपत्रों एवपं आदेशों की प्रतियां स्वयं के पास पृथक पत्रावली में संधारित करना तथा इनका सूक्ष्म अध्ययन के साथ-साथ मालनला सुनिश्चित करना हितकर रहेगा।


काॅमन मार्गदर्शिका के अनुसार जलग्रहण विकास दल का नियोजन (---)


जलग्रहण विकास दल पी. आई. ए. का आन्तरिक भाग है एवं पी. आई. ए. द्वारा बनाया जायेगा। दल में न्यूनतम 4 सदस्य होगें जिनका कृषि, मृदा  विज्ञान, जल प्रबन्धन, सामाजिक मोबिलाइजेशन व संस्था निर्माण में अनुभव और ज्ञान होगा। राजस्थान में पशुधन के व्यापक स्कोप को दृष्टिगत रखते हुए इस संकाय के सदस्य को भी दल में रखा जायेगा। दल में न्यूनतम एक सदस्य महिला होगी। दल सदस्यों के पास प्राथमिकता से एक पेशेवर डिग्री होनी चाहिये यद्यपि डी. डब्ल्यू. डी. यू. द्वारा उम्मीदवार के व्यावहारिक क्षेत्रीय अनुभव को दृष्टिगत रखते हुए एस.एल. एन. ए. अनुमोदन उपरान्त अन्यथा योग्य पाये जाने मामलों में योग्यता में शिथिलता प्रदान की जा सकती है। जलग्रहण विकास दल यथा संभव जलग्रहण विकास परियोजना के निकट मौजूद रहना चाहिये। इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जावें कि डब्ल्यू. डी. टी. जिले व राल्य स्तर की विशेषज्ञ दल के निकट सहयोग से कार्य करे। पी. आई. ए. को प्रशासनिक सहायता से दल सदस्यों के वेतन का आहरण किया जायेगा। डी. डब्ल्यू. डी. यू. डब्ल्यू. डी. टी. सदस्यों के प्रशिक्षण को सुविधाजनक बनायेगी।


जलग्रहण विकास दल के सदस्यों के कर्तव्य व दायित्व


(duites and functions of matershed development team members)


जलग्रहण विकास दल जलग्रहण कमेटी (डब्ल्यू.सी.) को वोटरशेड एक्शन प्लान बनाने में मार्गदर्शन प्रदान करेगा। नीचे एक सांकेतिक दायित्वों व कर्तव्यों की सूची दी जा रही है।



  1. ग्राम पंचायत/ग्राम सभा को डब्ल्यू. सी. के गठन और उसके कार्यकलाप में सहायता करना।

  2. उपभोक्ता समूह व स्वयं सहायता समूहों को संगठित व पोषित करना।

  3. महिलाओं को जलग्रहण एक्शन प्लान में उनके हित पर्याप्त रूप से सम्मिलित होना सुनिश्चित करने के लिए मोबिलाइज करना।

  4. जलभागिता आधारित बेसलाइन सर्वे, प्रशिक्षण व क्षमता निर्माण करना।

  5. घरेलु स्तर पर टिकाऊ आजीविका को प्रोत्साहित करने हेतु जल एवं मृदा संरक्षण या रिक्लेमेशन आदि सहित संसाधन विकास प्लान तैयार करना।

  6. सामूहिक संसाधन प्रबन्ध व समतामूलक भागीदारी।

  7. ग्रामसभा के विचारार्थ विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन तैयार करना।

  8. ढाचों के निर्माण हेतु इंजीनियरिगं सर्वेक्षण करना व इंजीनियरिगं ड्राइगं व लागत अनुमान तैयार करना।

  9. क्रियान्वित कार्यो की मानीटरिगं, जांच, परीक्षणात्मक आकलन करना व उनकी नाप लेना और भौतिक सत्यापन करना।

  10. भूमिहीन हेतु आजीविका समर्थन विकास को सुविधाजनक बनाना।

  11. परियोजना खाता संधारित करना।

  12. क्रियान्वित कार्यो की भौतिक वित्तीय व सामाजिक संकेक्षण की व्यवस्था कराना।

  13. परियोजना पश्चातवर्ती आपरेशन, परियोजना अवधि के दौरान सृजित परिसम्पत्तियों के रखरखाव और भविष्य में विकास हेतु उपर्युक्त व्यवस्थाएं करना।


2.3 जलग्रहण विकास दल (डब्ल्यू. डी. टी.) के सदस्यों की संयुक्त जिम्मेदारियाँ


2.5 जल बजटिंग तैयार करने की विधि



  1. मूलभूत आंकड़ों का संकलन

  2. क्षेत्र ( राजस्व रिकार्ड से गणना )

  3. अच्छा कैचमेंन्ट- जहां जल बहाव अधिकतम है तथा जल अन्तः बहाव न्यूनतम है जैसे पहाडी़, पठारी, क्षेत्र इत्यादि

  4. औसत कैचमेंन्ट- जोती गई भूमि, वन भूमि एवं वानस्पतिक क्षेत्र

  5. खराब कैचमेंन्ट - जहां जल बहाव न्यूनतम है तथा अन्त' बहाव अधिकतम है, जैसे बलुई भूमि

  6. औसत वार्षिक वर्षा के आकडे़ ( तहसील के पास उपलब्ध ) - वर्षा के जल बहाव का आकलन-स्ट्रेन्जर तालिका से निकाली जायेगी

  7. उदाहरण के लिए कुल मानसून वर्षा 500 मि.मी. हेतु

  8. स्ट्रेन्जर तालिका से वार्षिक जल बहाव की मात्रा का प्रतिशत

  9. अच्छे केचमेंन्ट हेतु-15 प्रतिशत

  10. औसत कैचमेंन्ट हेतु - 11.25 प्रतिशत

  11. खराब कैचमेंन्ट हेतु - 7.5 प्रतिशत


 2.6 फार्म प्लान बनाते समय सम्मिलित करने योग्य बिन्दु



  1. कृषक के पास उपलब्ध संसाधनों के आधार पर ऐसी योजना तैयार करना जिससे-


- कृषि उत्पादकता में वृद्धि हो


- आय में वृद्धि हो


- उत्पाद, आय तथा रोजगार में स्थिरता जिससे कृषक सूखे/अन्य विपरीत मौसम परिस्थितियों में कर सके।



  1. कृषक के पास उपलब्ध भूमि के प्रकार, क्षमता, जल संसाधन आदि को देखते हुए फसलों/किसानों का चयन जिसमें अनाज, दलहन, चारा, सब्जी आदि का भी समावेश हो।


- बंजर भूमि पर औषधीय/रतनजोत/मसाला फसल/ फोरेस्ट प्लान


- ( अति आय स्वयं मांग की पूर्ति )


- अंतशस्य ( ) ( अतिरिक्त आयु  खाली भूमि का उपयोग )



  • प्रत्येक कृषक के यहाँ जल संग्रहण हेतु फार्म पौण्ड/डिग्री/खेततलाई

  • माइक्रो इरीगेयान हेतु फव्वारा/ड्रिप/पाइप लाइन तथा जल संरक्षी कृषि क्रियाएं

  • वैज्ञानिक विधि से कार्बनिक खाद निर्माण- वर्मी/सुपर कम्पोस्ट/

  • मृदा स्वास्थ्य कार्ड के आधार पर एवं फसलवार का चयन

  • कृषक के पास उपलब्ध संसाधनों/क्षेत्रीय मांग बाजार/खपत की संभावना को देखकर कम  से कम एक सहायक गतिविधि फार्म-प्लान में सम्मिलित की जावें जैसे-नर्सरी, मशरूम, उत्पादन, पशुपालन, भेड़-बकरी/मुर्गीपालन/वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन अथवा अन्य जिससे फसलों के उप-उत्पादों का समुचित उपयोग होकर उत्पादकता व आय में वृद्धि हो।

  • प्रत्येक प्लाट केलिये फसल मौसमवार, गतिविधिवार, योजना बनाई जावें। प्रत्येक वर्ष खरीफ/रबी/जायद हेतु प्लाटवाइज अच्छी वर्षा, मध्यम वर्षा तथा कम वर्ष तीनों स्थितियों का खाका तैयार किया जावे।

  • प्रत्येक गतिविधि से सम्बन्धित आदान, प्रकार, मात्रा प्राप्ति-स्रोत, उपयोग का समय तथा व्यय राशि का विवरण।

  • विपणन के लिए स्थानीय/निकटतम कृषि उपज मण्डी/वायदा बाजर/ई-चापा/प्रसंस्करण इकाई/भंडारगृह में से लाभप्रद विकल्प का चयन।

  • प्रत्येक गतिविधि से मुख्य उत्पाद तथा उप उत्पाद की मात्रा व विक्रय मूल्य का विवरण रखें।

  • कृषक की कम से कम पांच वर्ष की योजना की जावे, लाभप्रद के आकलन व गत वर्षो से तुलना उपरान्त प्रतिवर्ष मध्यावधि/सामयिक संशोधन किये जावें।


2.7 कृषकवार फार्म प्लान तैयार करने हेतु नमूना प्रारूप


( यह प्रारूप है, स्थिति व संसाधन अनुसार परिवर्तन योग्य )


कृषक का पूर्ण विवरण- भूमि, संसाधन, अन्य


जमीन का प्लाटवार खाका- खरीब/रबी/जायदा/वर्ष


2.9 सारांश


जलग्रहण विकास दल में सामाजिक वैज्ञानिक, कृषि वैज्ञानिक, पशुपालन विशेषज्ञ एवं कृषि/सिविल अभियांत्रिकी विशेषज्ञ होते हैं। इनके अपने-अपने कर्तव्य एवं दायित्व हैं। जल बंजटिग हेतु क्षेत्र, औसत वर्षा व वार्षिक जल बहाव के आंकड़ों की आवश्यकता होती है। फार्म प्लान बनाने का मुख्य उद्येश्य कृषि उत्पादन में वृद्धि, आय में वृद्धि है।


2.10 संदर्भ सामग्री



  1. जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण विभाग के वार्षिक प्रतिवेदन

  2. प्रशिक्षण पुस्तिका- जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण विभाग द्वारा जारी।

  3. जलग्रहण मार्गदर्शिका- संरक्षण एवं उत्पादन विधियों हेतु दिशा-निर्देश-जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण विभाग द्वारा जारी।

  4. जलग्रहण विकास हेतु तकनीकी मैनुअल- जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण विभाग द्वारा संरक्षण विभाग द्वारा जारी।

  5. राजस्थान में जलग्रहण विकास गतिविधियाँ- जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण विभाग द्वारा जारी।

  6. ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा जारी जलग्रहण विकास-दिशा-निर्देशिका।

  7. ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा जारी जलग्रहण विकास-हरियाली मार्गदर्शिका।

  8. आॅफ - जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण विभाग द्वारा जारी।

  9. विभिन्न परिपत्र- राज्य सरकार/जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण विभाग

  10. इन्दिरा गांधी पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास संस्थान द्वारा विकसित संदर्भ सामग्री- जलग्रहण प्रकोष्ठ।

  11. कृषि, मत्रांलय, भारत सरकार द्वारा जारी-वरसा जन सहभागिता मार्गदर्शिका।

  12. जलग्रहण का अविरत विकास-श्री आर. सी. एल. मीणा।


13. भारत सरकार द्वारा जारी-नई कामन मार्गदर्शिका।