"जुगनु सी लडकियां"
"जुगनु सी लडकियां"

 


झिलमिलाती हैं वो घर के हर कोने में

बनकर के रौशनी की किरणें,

दिल होते हैं इनके मोम से

जो हल्की तपिश से भी पिघल जाऐं,

वो लेकर आती हैं रौनकें घर में

और फिर टिमटिमाती हैं हवाओं में,

इनकी हंसी की खनक से गूंजते हैं आशियाने

और इनके आंसुओं से होती है बरसात,

बडे नाज़ों से पली होती हैं ये लडकियां

और तोड दी जाती हैं माटी की मूरत सी,

ये अपने ग़मों की नुमाइशें नहीं करती

और एक दिन दफन हो जाती है इनकी हंसी,

पल में हंसती पल में रोती हैं ये

शायद इसलिऐ रौशन रहती हैं ये,

अलग होती हैं ये ,और लडकियों से

क्योंकि ये खुद तडपकर ,रौशन करती हैं सबको।